ऋषिकेश: रंभा का इतिहास और वर्तमान उसके स्वरूप की तरह ही काफी उलझा हुआ दिखता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक स्वर्गलोक से धरती पर आईं अप्सरा रंभा के नाम पर नदी का नामकरण हुआ। साथ ही रंभा नदी को प्रेम का प्रतीक माना जाने लगा।
अपने उद्गम स्थल सहित वीरभद्र मंदिर तक रंभा कभी बेत के वृक्षो से सहारा पाती थी। लोगों की आक्रांता जैसी हरकतों ने सिर्फ नदी की काया को चौपट कर दिया बल्कि अवैध निर्माणों की बाढ़ पैदा कर दी। हाल ही में डीएम देहरादून ने आदेश किया कि रंभा के दोनों ओर 21-21 फिट निर्माणों को खाली कराया जाए। आदेश अमल में आ पाते इससे पहले ही भूमाफियाओं और तथाकथित पर्यावरण हितैषियों की जुगलबंदी ने नई स्थिति पैदा कर दी। नतीजा ये रहा कि स्थानीय सियासत ने डीएम के आदेशों को बौना कर सीवरलाइन बिछाने के लिए सिर्फ डेढ़ फीट नदी के किनारे को खाली करवाने का आदेश पारित करवा लिया।