पुस्तक समीक्षा : मनु कहिन
लेखक: मनीष वर्मा
प्रकाशक: नोवेल्टी एन्ड कंपनी
मूल्य: रु 300
पटना: हाल ही में पटना में सोशल मीडिया पर एक ब्लागर के रूप में चर्चित मनीष वर्मा की पहली पुस्तक मनु कहिन का विमोचन हुआ। मनीश की पहचान सोशल मीडिया में स्तंभ लेखन के रूप में रही है। मनीष ने बताया कि मनु कहिन दिल की आवाज है, एक हस्ताक्षर है ,एक धड़कन है। यह कोई सोच या अवधारणा नहीं है इसे कलमबद्ध किया जा सके । यह तो रोजमर्रा की घटनाएं हैं जिसने उन्हें प्रेरित किया कुछ लिखने को।
मनु कहिन की शैली अत्यंत सहज है। इसमें लेखक की संवेदना विस्तृत है इसमें जानवर है, प्रवासी मजदूर हैं, किसान हैं, निचले तबके के लोग हैं, नौकरी पेशा भी हैं जो लेखक की जिंदगी में आते हैं । किसी भी छोटी सी घटना को उठाकर उसके हर पहलू पर विचार करते हुए वे उसे वृहत्तर परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं।
इस पुस्तक के कंटेंट की बात करना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि पुस्तक किसी एक विषय वस्तु को केंद्रित कर नहीं लिखी गई है। समकालीन समाज में लेखक जो भी देखता है अपनी शब्दों के माध्यम से उन्हें न केवल उजागर करता है बल्कि उन्हें दूर करने के उपाय भी बताता है।
एक नए दर्शन का दीदार कराती है मनु कहिन । इसके आलेख जिंदगी जीना सिखाते हैं।
मनु कहिन के आलेखों की सबसे बड़ी विशेषता है, लेखक की इमानदारी। लेखक ने जिन विषयों पर लिखा है, अपने इमानदार अनुभव साझा किए हैं। समस्याओं पर लेखक की राय किसी विशेषज्ञ की राय नहीं बल्कि आम आदमी की सहज अभिव्यक्ति है। लेखक की सोच संतुलित है। उसने हल्के-फुल्के अपने आलेखों के माध्यम से भी जीवन दर्शन को एक नया आयाम दिया है । कई विषयों जैसे आत्महत्या, ऑनर किलिंग, स्त्रियों के प्रति अपराध ,आदि पर उसने संजीदगी से कलम चलाई है।
चूंकि लेखक एक सरकारी अधिकारी हैं तो उन्होंने सरकारी कार्यालयों में कामकाज के दकियानूसी तरीके पर भी उसने टिप्पणी की है । रिव्यू मीटिंग के बहाने उन्होंने बड़े ही सहज और सरल तरीके से कर्मचारी और उसके बॉस की मानसिकता को दर्शाया है, तो रिटायरमेंट के बहाने लोगों को उसने अलग ही संदेश देने की कोशिश की है।
मनु कहिन में कुल 79 अध्याय है जो विभिन्न विषयों और घटनाओं पर आधारित है। अधिकांश घटनाएं सच्ची हैं। लेखक का कहीं न कहीं इनसे साबका पड़ा है। उसने आसपास के रोजमर्रा में घटित घटनाओं को आधार बनाकर अपने आलेखों को लिखा है जो घटनाएं उसे कहीं न कहीं टच करती हैं, उद्वेलित करती है । उसने उस को आधार बनाया और उस पर अपनी लेखनी चलायी।
जीवन के अर्थ आप आलेखों में ढूंढने की कोशिश कर सकते हैं। मनु कहिन के हर पात्र लेखक के जीवन के छुए छुए पन्ने हैं लेखक ने अपने पात्रों के माध्यम से ईमानदारी पूर्वक व्यवहारिक जीवन को उकेरा है। कोशिश आध्यात्मिक नहीं है बल्कि व्यावहारिक और अनुभव जनित है। लेखक की संवेदनशीलता और संजीदगी ने कहीं न कहीं उसे झकझोरा है। परिणाम मनु कहिन के रूप में आपके सामने है।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो