विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
आज हमारी विरासत स्वराज यात्रा लोक निकेतन संस्थान, रतनपुर गुजरात में पहुंची। यहां एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों, बच्चो और शिक्षकों ने भाग लिया। इस सभा में मैंने अपने राजस्थान के जलवायु परिवर्तन, अनुकलन और उन्मूलन के अनुभव रखे। मैंने कहा कि हमारी असली विरासत जल, जंगल जमीन है। हमे प्रकृति के पोषण की शिक्षा पढ़ानी होगी, आज की शिक्षा सिर्फ प्रकृति का शोषण ही पढ़ाती और सिखाती है।
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मैंने वहां लोगों को कहा की उनकी विरासत बनास नदी है, जो आज मर गई है। इसे पुनर्जीवित करने हेतु सबसे पहले इसे जानना, समझना होगा और फिर सहेजने के काम में जुटना होगा। आज इसे बहुत तेज बुखार चढ़ गया है, इस बुखार को उतरने के लिए हमे पानी की पट्टी (जोहड़, ताल, पाल बनाकर)रखनी होगी। जब बुखार उतरेगा तो आपके जीवन में भी खुशहाली आएगी। विद्यार्थियों और किसानों ने मुझसे कई सवाल पूछे, जिसमे बनास नदी को पुनर्जीवित करने का सवाल प्रमुख रहे।
इसके बाद यात्रा बनास दूध डेयरी, पालनपुर पहुंची। यहां बनास नदी को पुनर्जीवित करनें के उपायों पर एक बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में डेयरी के डायरेक्टर संग्राम चौधरी ने कहा कि जिस प्रकार मैंने 12 नदियों की पुर्नजीवित करने का काम किया है, उसी तरह बनास नदी को पुनर्जीवित करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करें। दूध हमारी विरासत है और जल भी। जल के बिना हम अपनी विरासत की कल्पना नहीं कर सकते।
मैंने उनसे कहा कि, आपकी संस्था बनास नदी को पुनर्जीवित करने का काम कर सकती है। इस हेतु सबसे पहले आपको सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन का काम करना होगा और पूरे नदी क्षेत्र में आओ नदी को जाने जल साक्षरता का अभियान चलाना चाहिए। इससे धरती का बुखार उतर जायेगा और मौसम का मिजाज सुधर जाएगा। इसलिए बनास डेरी को अपने कार्य क्षेत्र के गांवों में जल संरक्षण करके, पुनर्भरण का काम करना चाहिए। इस काम को करने में आपकी डेयरी सक्षम है।
यात्रा 25 अक्टूबर 2021 की शाम को डीसा, गुजरात पहुंची थी। यहां बनास नदी को पुनर्जीवित करने हेतु एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया था। इस सभा में यहां के किसानों, युवाओं, तरूण, किशोर, सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इस सभा में बहुत सवाल जबाव हुए। सभी ने बनास नदी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।